Valji P. Dabhi – Chief Instructor Morbi
(World Traditional Shotokan Karate Federation)
1st Dan Black Belt | Shito ryu Karate – 2012 |
2nd Dan Black Belt | Shotokan Karate – 2015 |
B.P.ED | Swarnim Gujarat Sports University |
Yog Diploma | Somnath Sanskrut University |
Cont. (whatsApp) | 95862 82 527, 94096 63 627 |
जय भारत
आजकी रफ्तार वाली जिंदगी में जहां बच्चों को पढ़ाई से थोड़ा सा भी समय मिलन मुश्कील है। और पढ़ाई में आगे रहने की होड मे बच्चों के शरीर, दिमाग और खाने पे बहुत बुरा असर पद रहा है। मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट के इस समय मे ग्राउंड और गली में खेले जानेवाले खेल कम होते जा रहा है।
समय कोय भी हो पर शरीर उपर कुछ भी नहीं होता । आज के रफ्तार वाली जिंदगी में भी आपके बच्चे कराटे जेसी मार्शल आर्ट (युद्ध कला) की तालीम ले रहे हे, बहोत अच्छी बात है क्युकी भविष्य में पढ़ाई तो बहुत जरूरी ही पर स्व बचाव के लिए युद्ध कला सीखना भी ही जरूरी रहेगा। वेसे तो ये कोई खेल या जादू नहीं है की फट-फट से सिख लिया जाए। ये शरीर को इसमे अलग अलग एक्सरसाइज़ और टेकनिक्स की रेग्युलर तालीम से शरीर को हथियार की तरह बनाया जाता है।
कोय भी टेक्निक की इतनी तालीम होनी चाहिए जो प्रतिद्वंदी के सामने अपने आप बिना सोचे या एटेक या डिफेन्स के लिए तैयार हो जाए जेसे गाड़ी चलाने के लिए समय हम को सोचना नहीं पड़ता की हेंड ब्रेक, लीवर, हेंडल क्लच, ब्रेक कब लगानी चाहिए वो अपने आप हो जाता है। इस तरह रेग्युलर तालीम से ही हमको सोचना नहीं पड़ता की प्रतिद्वंदी को केसे हेंडल करना है।
इस लिए ही कराटे फाउंडर गिचिन फुनाकोसी ने कहा है की “कराटे जीवन भर के लिए है।” इस लिए आप रेग्युलर कराटे सेन्टर मे तालीम ले या अपने आप शिखने के बाद रेग्युलर चालू रखे और आत्मविश्वास तभी बढ़ता है। जब हम किसी भी परिस्थिति में सामना करने में सक्षम हो।
स्पोर्ट्स कराटे : जो खेल के लिए सिखाया जाता है और उसमे आपको ज्यादा से ज्यादा पॉइंट्स केसे कवर करे, ये ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। स्पोर्ट्स कराटे मै दो-तीन किक, पंच और थ्रो टेक्निक पर ज्यादा ट्रेनिंग कारवाई जाती है। उसमे फुटवर्क, स्पीड, स्ट्रेच के लिए तालीम रूल्स के साथ होती है।
अभी ज्यादा टोर्नामेंट स्पोर्ट्स कराटे की ही होती है और अब तो कराटे ओलम्पिक में भी आ गया है।
ट्रैडिसनल कराटे : जब कराटे अस्तित्व में आया तब तो सिर्फ स्व बचाव के लिए ही सिखाया जाता था। इस ही लिए ये कोई खेल नहीं है युद्ध कला है जिसमें तालीम से शरीर को हथियार जेसा बनाया जाता था। खुदका बेलेन्स अच्छा हो इसके लिए स स्टान्स जो अलग-अलग तरह की पैर की जमीन पर आगे या पीछे जाने पर पकड़ बनाये रखे इस लिए तालीम करवाते थे।
आप कोई भी चीज ताकाट वाली है उसको अगर उठाना ही, धक्का मारना हे, खिचना है या फेकना हे तो आप जमीन पर अच्छी पकड़ बगाएंगे और ब्रिधिंग टेकनिक (सांस पर नियंत्रण) सही करेंगे। इस लिए स्टान्स और ब्रिधिंग की लम्बे समय ट्रेनिंग कारवाई जाती थी। साथ में शरीर को लचीला बनाया जाता था। और ताकत वाला भी जिसमे लेग स्ट्रेच, बेक-बेन्डिंग और हाथ-पैर की मारने की ताकत बढ़ाने की तालीम जेसे गरम रेत पर हाथ मारना, हाथ-पैर को किसी कठोर चीज या डमी पर मारना, स्टमक पर मारना और इस तरह शरीर मार खाने और मारने के लिए ट्रेन किया जाता था।
और उसमे शरीर का हर जो हिस्सा मार ने के काम आता ही उसे तैयार किया जाता था। और शरीर का हर हिसा जहा अच्छे से अच्छी चोट दे सकते ही। उसके बारे में ट्रेनिंग के साथ जानकारी दी जाती थी। हालाकी ये बिना हथियार की तालीम हे पर कोई भी चीज आपके आसपास हे उसका उपयोग मारने के लिए हथियार की तरह केसे कर सकते ही उसकी तालीम दी जाती थी।
ये तालीम बहुत ही खतरनाक होने की वजह से बहुत कम लोग इसे अच्छे से शिख पाते थे। और ब्लेक बेल्ट जो हाल मे किसीको भी मिल जाती है उस तरह नहीं मिलता था। ब्लेक बेल्ट में सात साल से लेके दस साल तक या उससे भी ज्यादा वख्त लग सकता था।